श्री राम जानकी मंदिर सीतामढ़ी बिहार की पूरी जानकारी हिंदी में यहां जाने।
जानकी स्थान मंदिर सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर बने जानकी मंदिर में स्थापित भगवान श्री राम देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां हैं। यह आधुनिक संरचना के साथ एक बड़ा मंदिर है मंदिर के मुख्य देवता श्री राम सीता लक्ष्मण और हनुमान है। जानकी कुंड के रूप में प्रसिद्ध एक नजदीकी तालाब है जहां राजा जनक अपनी बेटी सीता को स्नान करने के लिए ले जाते थे । यह लोकप्रिय पौराणिक कथाओं की भावना थी और संचालित रोशनी के लिए एक बड़ा आंगन भी है।
सीताकुंड भारत के बिहार राज्य में सीतामढ़ी नगर के समीप पुनौरा ग्राम स्थित एक हिंदू तीर्थ स्थल है यहां एक प्राचीन हिंदू मंदिर है पुनौरा धाम जानकी कुंड पौराणिक काल में पुंडरीक ऋषि के आश्रम के रूप में विख्यात है ।
पुनौरा में ही राजा जनक की बेटी और भगवान राम की पत्नी देवी सीता का जन्म हुआ था। मिथिला नरेश जनक ने इंद्र देव को खुश करने के लिए अपने हाथों से यहां चलाया था इसी दौरान एक विद्यापति ने देवी सीता बालिका रूप में मिली मंदिर के अलावा यहां पवित्र कुंड है। इसका इतिहास त्रेता युग तक लंबा रहा है।
सीता जी के जन्म के कारण इस नगर का नाम पहले सीतामडई फिर सीतामही और अब सीतामढ़ी पडा।
जैसा कि कहा जाता है राजा जनक ने उसी जगह पर एक पुष्कर ने खुद बाया और माता सीता की शादी के बाद इसी जगह पर राम लक्ष्मण और सीता के प्रतिमूर्ति रखकर एक मंदिर बनवाया जिसे जानकी मंदिर कहा जाता है कुंड जानकी कुंड नाम से प्रसिद्ध है समय बीतने पर यह जगह जंगल में परिणत हुआ और करीब 500 साल बाद बीरबल दास नाम के एक व्यक्ति ने ईश्वर इस निर्देश से यह जगह देखा उसी ने जंगल को साफ करने के बाद राजा जनक के बनाए हुए मूर्ति रखकर एक मंदिर बनवाया और पूजा पाठ सुरु किया यह मंदिर तकरीबन 100 साल पुराना है।
इस मंदिर में जाने के लिए आप बस और ट्रेन से जा सकते हैं यह सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी तकरीबन 1.5 किलोमीटर है और बस स्टैंड से भी तकरीबन 1.5 किलोमीटर है।
श्री रामचरितमानस के बालकांड में ऐसा उल्लेख है कि राजकुमारों के बड़े होने पर आश्रम की राक्षसों से रक्षा हेतु ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांग कर अपने साथ ले गए राम ने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों को मार डाला और मालिक को बिना फल वाले बांध से मारकर समुद्र के पास भेज दिया उधर लक्ष्मण ने राक्षसों की सारी सेना का संहार कर डाला धनुष यज्ञ तू राजा जनक के निमंत्रण मिलने पर विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ उनकी नगरी मिथिला जनकपुर रास्ते में राम ने गौतम मुनि की स्त्री अहिल्या का उद्धार किया यह स्थान सीतामढ़ी से 40 किलोमीटर अहिल्या अस्थान के नाम पर स्थित मिथिला में राजा जनक की पुत्री सीता जिन्हें पिंकी के नाम से भी जाना जाता है का स्वयंवर का भी आयोजन था जहां की प्रतिज्ञा के अनुसार शिव धनुष को तोड़कर राम ने सीता से विवाह किया राम और सीता के विवाह के साथ ही साथ गुरु वशिष्ठ ने भरत का मांडवी से लक्ष्मण का उर्मिला से और शत्रुघ्न का श्रुत्कीर्ति चेक करवा दिया राम सीता के विवाह के उपलक्ष में अघन विवाह पंचमी को सीतामढ़ी में प्रतिवर्ष सोनपुर के बाद एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है इसी प्रकार जा माता राम के सम्मान में भी यहां चैत रामनवमी को बड़ा पशु मेला लगता है।
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